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Channel: प्रेमरस
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'तलाक'और'हलाला'केबारेमेंगलतधारणाएं!

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सबसेपहलेतोहमेंयहपताहोनाचाहिएकिइस्लाममेंविवाहएककोंट्रेक्टमैरिजहोतीहैजिसमेंक़ाज़ी, वकीलतथा 2 गवाहोंकेसामनेकुबूलकरलेनेसेनिकाहहोजाताहैतथाविशेषपरिस्थितिओंमेंविवाहको'तलाक'अथवा'खुला'केद्वाराविच्छेदकियाजासकताहै।मुस्लिमविवाहमेंगवाह, वकीलतथाक़ाज़ीकेवलइसलिएहोतेहैंजिससेकिकोईभीपक्षविवाहसेमुकरनाजाए। (वैसेतोआजहिन्दूविवाहकोभीकोंट्रेक्टमैरिजबनादियागयाहैं, क्योंकिउसमेंभीतलाक़काप्रावधानकरदियागयाहै)

 

ठीकइसीतरहजबयहएहसासहोजाएकिअबसाथरहनानामुमकिनहैऔरज़िन्दगीकीगाडीकोआगेबढानेकेलिएअलगहोनाहीएकमात्रतरीकाबचाहै, तबऐसेहालातकेलिएतलाक़काप्रावधानहै।

 

तलाक़काइस्लामिकतरीकायहहैकिजबयहअहसासहोकिजीवनकीगाडीकोसाथ-साथचलायानहींजासकताहै, तबक़ाज़ीमामलेकीजाँचकरकेदोनोंपक्षोंकोकुछदिनऔरसाथगुज़ारनेकीसलाहदेसकताहैअथवागवाहोंकेसामनेपहलीतलाक़देदीजातीहै, उसकेबाददोनोंको 40 दिनतकअच्छीतरहसेसाथरहनेकेलिएकहाजाताहै।अबअगर 40 दिनकेबादभीउन्हेंलगताहैतोफिरदूसरीबारगवाहोंकेसामने"तलाक़"कहाजाताहै, इसतरहदो"तलाक"होजातीहैंऔरफिरसे 40 दिनतकसाथरहाजाताहै।अगरफिरसे 40 दिनबादभीलगताहैकिसाथनहींरहाजासकताहैतबजाकरतीसरीबारतलाक़दीजातीहैऔरइसतरहतलाक़मुक़म्मलहोतीहै।


इसमेंमुस्लिमसमाजका"हनफी"मसलकमेंएकहीसमयमें"तीनतलाक़"कोभीसहीमानाजाताहैं, हालाँकिवहभीइसतरीकेकोअच्छातरीकानहींमानते।अन्यमुस्लिमउलेमाएकसमयमेंतीनतलाक़दिएजानेको"तलाक़"नहींमानतेहैंऔरकईमुस्लिमदेशोंमेंइसतरहसेतलाकदेनेपरव्यक्तिकेविरुद्धसज़ाकाप्रावधानहै।

 

महिलाओंकोतलाक़काहक

 

यहकहनागलतहैकिमहिलाओंकोतलाक़काहकनहींहै, बल्किउनकोतुरंततलाक़काहकहै।अगरकिसीमहिलाकापतिशराबी, जुआरी, नामर्द, मार-पीटकरनेवालायाकिसीऐसीसामाजिकबुराईमेंलिप्तहैजोकिसमाजमेंलज्जाकाकारणहोतोउसेतलाक़लेनेकाहकहै।इसकेलिएउसेभीक़ाज़ीकेपासजानाहोताहै।इसकेसाथ-साथऐसीस्थितिमेंउसको 40-40 दिनतकइंतज़ारकरनेकीभीआवश्यकतानहींहोतीहै, बल्किमहिलाकेआरोपसहीपाएजानेकीस्थितिमेंफ़ौरनविवाहविच्छेदकाअधिकारमिलजाताहै, जिसको'खुला'कहाजाताहै।


इसविषयमेंकुछलोगोकायहकहनाहैकिजबविवाहपति-पत्नीकीमर्ज़ीसेहोताहैतोतलाक़किसीएककीमर्ज़ीसेकैसेहोसकताहै।मेरेविचारसेऐसाकहनाव्यवहारिकनहींहै, सम्बन्धहमेशादोलोगोकीमर्ज़ीसेहीबनतेहैंपरन्तुकिसीएककीभीमर्ज़ीनाहोनेसेसम्बन्धसमाप्तहोजातेहैं।ज़रासोचियेअगरकिसीमहिलाकापतिउसपरज्यादतियांकरताहै, यातनाएंदेताहैऔरतलाक़देनेकेलिएबिलकुलभीतैयारनहींहैतोक्याऐसेमेंबिनाउसकीमर्जीकेतलाक़केप्रावधानकानाहोनाजायज़कहलायाजासकताहै?

 

 

एकपुरुषऔरमहिलाकेदिलोंकामिलनाऔरसाथ-साथसामाजिकबंधनमेंबंधकररहनाविवाहहैतोरिश्तोंमेंतनावयाअन्यकिसीकारणसेसाथ-साथनारहपानेकीस्थितिकानाम'तलाक़'है। 

 

क्या'हलाला'शरियाकानूनकाहिस्साहै?

 

'हलाला'शरियाकानूनकाहिस्सानहींहै, बल्कितलाक़कोइसलिएसख्तबनायागयाहैकिपुरुषमहिलाओंपरज्यादतियांकरनेकीनियतसेइसकामज़ाकनाबनालें, जबचाहेतलाक़दियाऔरफिरजबचाहेदुबाराविवाहकरलिया।इसीलिएतलाक़केबादवापिसदुबाराशादीकीसंभावनालगभगसमाप्तहोजातीहै।यहाँयहभीबताताचलूँकिइस्लाममेंतलाक़कोसबसेज्यादानापसंदीदाकाममानागयाहैऔरकेवलविशेषपरिस्थितियोंकेलिएहीइसकाप्रावधानहै।


एकबारतलाक़होनेकेबादकोईभीमहिलाअपनीमर्ज़ीसेदूसराविवाहकरनेकेलिएपूरीतरहस्वतंत्रहोतीहै।हाँअगरकिसीतलाकशुदामहिलाकाअपनेपतियाउसकेपतिकाउसकेसाथतालमेलनहींबैठताऔरबदकिस्मतीसेफिरसेतलाक़कीस्थितिआजातीहै।तोऐसीअवस्थामेंवहमहिलाअपनीइच्छासेफिरसेपहलेपतिसेशादीकरसकतीहै।अगरकोईजानबूझकरइसप्रक्रियाकोदूबाराशादीकेलिएइस्तेमालकरताहैतोइस्लामिककानूनकेमुताबिकउनकेलिएबेहदसख्तसज़ाओंकाप्रावधानहै।


निकाहकीहरएकसूरतमेंमहिलाऔरपुरुषदोनोंकी'मर्ज़ी'आवश्यकहै


इस्लामिकविवाहकीरीतीमेंकिसीभीस्थितिमेंबिनाकिसीमहिलाअथवापुरुषकीमर्ज़ीकेशादीहोहीनहींसकतीहै।अगरकिसीमहिला / पुरुषसेज़बरदस्ती'हाँ'कहलवाईजातीहैऔरहस्ताक्षरकरवाएज���ते�����ैंतोइससूरतमेंविवाहनहींहोताहै।औरक्योंकिऐसीस्थितिमेंक्योंकिविवाहवैधनहींहोताहैइसलिएअलगहोनेकेलिएतलाक़कीआवश्यकताभीनहींहोतीहै।उपरोक्तसंदर्भोसेयहसाफ़होजाताहैकिहलालाकीइस्लाममेंरत्तीभरभीजगहनहींहै।

 

मैंनेएकबारतलाक़होजानेपरदुबाराविवाहकोलगभगनामुमकिनइसलिएकहाथाक्योंकिकिसीभीमहिलाकीमर्ज़ीकेबिनापहलीयादूसरीशादीहोहीनहींसकतीहैऔरकोईभीमहिलाऐसीघिनौनीहरकतकोजानबूझकरक़ुबूलनहींकरेगी।अगरकिसीमहिलायापुरुषकाइस्लामधर्ममेंविश्वासहैतबतोवहऐसागुनाहबिलकुलभीनहींकरेंगेऔरअगरविश्वासहीनहींहैतोउन्हेंऐसाकरनेकीआवश्यकताहीनहींहै, वहदेशकेसामान्यकानूनकेमुताबिककोर्टमेंशादीकरसकतेहैं।

 


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